लंदन।। अब मोबाइल फोन पेशाब से चार्ज किया जा सकेगा! हैरान न होइए, ब्रिटेन साइंटिस्ट्स ने ऐसी अनोखी तकनीक खोज निकाली है। साइंटिस्ट्स का दावा है इस तकनीक से मोबाइल फोन को इंसान के पेशाब से चार्ज किया जा सकता है।
ब्रिस्टल रोबॉटिक्स लेबोरेटरी में काम करने वाले साइंटिस्ट्स ने यह 'अहम' खोज की है। खोज में उन्होंने पाया कि पेशाब के जरिए बिजली पैदा कर मोबाइल फोन को चार्ज किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड (यूडब्ल्यूई), ब्रिस्टल के एक्सपर्ट डॉ. लोएनिस लेरोपौलस ने कहा, 'हम इस बात से बेहद उत्साहित हैं कि ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ है। किसी ने पेशाब से एनर्जी पैदा नहीं की थी। इस तरह की खोज बहुत उत्साह बढ़ाने वाली है। इस अपशिष्ट पदार्थ को बिजली पैदा करने के लिए एनर्जी के रूप में प्रयोग करना पर्यावरण के लिए भी सही है।'
लेरोपौलस ने कहा, 'पेशाब एक ऐसा उत्पाद है जो कभी भी खत्म नहीं हो सकता। इससे एनर्जी पैदा करने के लिए पेशाब को माइक्रोबियल फ्यूल सेल (एमएफसीज) के कैसकेड से प्रवाहित किया जाता है जिससे बिजली पैदा होती है। इसमें हमें प्रकृति के अनियमित ऊर्जा के स्रोतों सूरज या हवा पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।'
उन्होंने कहा कि इस तरह से चार्ज किए गए मोबाइल फोन से एसएमएस संदेश भेजने, वेब ब्राउजिंग और छोटी फोन कॉल करने जितनी ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
ब्रिस्टल रोबॉटिक्स लेबोरेटरी में काम करने वाले साइंटिस्ट्स ने यह 'अहम' खोज की है। खोज में उन्होंने पाया कि पेशाब के जरिए बिजली पैदा कर मोबाइल फोन को चार्ज किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड (यूडब्ल्यूई), ब्रिस्टल के एक्सपर्ट डॉ. लोएनिस लेरोपौलस ने कहा, 'हम इस बात से बेहद उत्साहित हैं कि ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ है। किसी ने पेशाब से एनर्जी पैदा नहीं की थी। इस तरह की खोज बहुत उत्साह बढ़ाने वाली है। इस अपशिष्ट पदार्थ को बिजली पैदा करने के लिए एनर्जी के रूप में प्रयोग करना पर्यावरण के लिए भी सही है।'
लेरोपौलस ने कहा, 'पेशाब एक ऐसा उत्पाद है जो कभी भी खत्म नहीं हो सकता। इससे एनर्जी पैदा करने के लिए पेशाब को माइक्रोबियल फ्यूल सेल (एमएफसीज) के कैसकेड से प्रवाहित किया जाता है जिससे बिजली पैदा होती है। इसमें हमें प्रकृति के अनियमित ऊर्जा के स्रोतों सूरज या हवा पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।'
उन्होंने कहा कि इस तरह से चार्ज किए गए मोबाइल फोन से एसएमएस संदेश भेजने, वेब ब्राउजिंग और छोटी फोन कॉल करने जितनी ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
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