Saturday, December 12, 2015

मिलिए भारत की पहली नेत्रहीन महिला IFS OFFICER से

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एनएल बेनो जेफीन
विकलांगता कैसी भी हो, इंसान को सामान्य जिंदगी जीने में कठिनाई पैदा करती है। न जाने कितने लोग हैं जो इस बात का रोना रोते मिल जायेंगे। सरकारी सहायता और दूसरों की मदद मांगते फिरेंगे। लेकिन पूरी तरह से नेत्रहीन एनएल बेनो जेफीन ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। तमिलनाडु की इस लड़की ने अपनी तकदीर खुद अपने हाथों से लिखी। अपने अंधेपन से हार नहीं मानी। मेहनत की, जज्बा दिखाया और नतीजा देखिये कि देश की सबसे कठिन परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में 353वीं रैंक हासिल की। 69 साल के विदेश मंत्रालय के इतिहास में पहली बार 100 फ़ीसदी नेत्रहीन को अधिकारी पद की नियुक्ति मिली है।
अभी तक स्टेट बैंक में थीं पीओ
ख़ास बात ये भी कि इस परीक्षा को पास करने से पूर्व तक जेफीन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में पीओ के रूप में कार्यरत रहीं हैं। आज पूरा तमिलनाडु ही नहीं देश में जो भी उनकी इस लगन और कामयाबी की कहानी सुनता है गौरवान्वित हो उठता है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया। लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्‍तीर्ण करने के बाद बेनो ने कहा कि वो इस तरीके से पढ़ाई करती थीं कि सभी विषयों और क्षेत्रों को सही ढंग से समझ सकें।
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माता-पिता की लाडली बेटी ने रच दिया इतिहास
“मेरे पास दृष्टि नहीं थी, लेकिन सिविल सेवा में जाने की दृष्टि थी.” ये कहना है एन.एल.बेनो ज़फीन का, जो 100 फ़ीसदी नेत्रहीनता के बावजूद विदेश सेवा की अधिकारी बनी हैं.
कैसे पढ़ती हैं बेनो
एक अंधी लड़की यूपीएससी के परिणामों में 353वां रैंक लाती है और जब उससे यह पूछा जाता है कि आपने अपनी पढ़ाई कैसे पूरी की तो उसका यही कहना होता है कि मेरे पिता हर दिन सुबह अखबार पढ़ते थे और मैं बड़े ही ध्‍यानपूर्वक सभी खबरों को हर दिन सुनती थी। इसके साथ ही जिस कोचिंग में बेनो परीक्षा की तैयारी कर रही थी वहां भी कोचिंग के एमडी सत्‍या द्वारा उन्‍हें विशेष क्‍लास दी जाती थी। मां ने उन्हें घंटों किताबें और अखबार पढ़कर सुनाए, ताकि बेटी की तैयारी में कोई कमी न रह जाए। पिता ने वो सॉफ्टवेयर उनके कंप्यूटर में अपलोड कराया, जिसकी मदद से वे किताबों को स्कैन कर ब्रेललिपि में पढ़ सकीं। बेनो कहती हैं जब बचपन में उन्हें अंधेपन के ताने कोई देता या हमदर्दी जताता था तो बहुत बुरा लगता था। तभी उन्होंने यह तय कर लिया था कि कुछ ऐसा करना है जो औरों के लिए भी प्रेरणा का काम कर सके। इसी के लिए रात-दिन पढाई की। मन में बस एक ही लक्ष्य था कि मुझे अपने बल-बूते ये जिंदगी जीनी और जीतनी है। अभी भी बेनो तमिलनाडु के भारतियार यूनीवर्सिटी से बेनो अंग्रेजी में पीएचडी कर रही हैं।
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जेफीन ने नेत्रहीनता को अपने जज्बे से दे दी मात
अब नहीं है ख़ुशी का ठिकाना
पिछले कई साल से बेनो लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी में जुटी हुई थीं लेकिन सफलता नहीं मिली। 2013 के परीक्षा परिणाम जो इसी 2015 में घोषित हुए हैं ने एक इतिहास रचने जैसा काम किया है। 25 वर्षीय जेफीन अपनी नई भूमिका को लेकर काफी उत्साहित हैं। जेफीन का कहना है कि वह दुनियाभर में घूम कर भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं।  अपनी कामयाबी के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी शुक्रिया अदा किया और कहा कि ‘मुझे बताया गया कि मैं आईएफएस के लिए योग्य हूं, हालांकि इससे पहले किसी भी 100 फीसदी दृष्टिहीन व्यक्ति को यह पद नहीं दिया गया है। बेनो के मुताबिक महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं होतीं। बेनो 2008 में अमरीका में आयोजित ‘ग्लोबल यंग लीडर्स कांफ्रेंस’ में हिस्सा ले चुकी हैं और इसके बाद ही उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा।उन्हें ‘डेक्कन क्रानिकल’ की ओर से ‘वुमन ऑफ़ द ईयर’ का सम्मान मिल चुका है।
क्रांतिकारी कदम
पूर्व राजनयिक टीपी श्रीनिवासन ने कहा, यह फैसला क्रांतिकारी से कम नहीं है, क्योंकि कई होनहार अभ्यर्थी अंतिम समय में 20:20 की दृष्टि नहीं होने के कारण आईएफएस ज्वाइन नहीं कर पाते।  आयकर विभाग और राजस्व सेवा में कुछ मामले ऐसे हैं, जिनमें आंखों की रोशनी चले जाने के बावजूद उन अभ्यर्थियों को सेवा में रखा गया। केंद्र सरकार का यह उदार फैसला है।

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