Tuesday, January 20, 2015

बीमार बेटी को मिला टूटा बैड तो पिता चला अस्पताल जोड़ने वेल्डिंग

छह महीने पहले हुए एक वाकये ने सीकर में फतेहपुर रोड पर रहने वाले वेल्डर सलीम चौहान को बदलाव का अगुवा बना दिया। उनकी 19 साल की बेटी गंभीर बीमार थी। एसके अस्पताल में भर्ती कराया तो टूटा हुआ बैड मिला। 15 दिन में बेटी ठीक होकर घर आ गई, लेकिन सलीम के जेहन में टूटा बैड घर कर गया।
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अस्पताल में वेल्डिंग करते सलीम।

पेशे से वेल्डर सलीम ने तय कर लिया कि अस्पताल में इलाज के लिए आने वाली किसी और बेटी या बीमार को इस परेशानी से नहीं गुजरने दूंगा। अब वे हर दिन अस्पताल आकर टूटे बैड, अलमारी और टेबल ठीक करते हैं। बकौल सलीम   चौहान, किसी की मदद करने के लिए बहुत रुपए होना जरूरी नहीं बल्कि इच्छा शक्ति मायने रखती है। इस वजह से तय किया कि कारखाने के काम के साथ अस्पताल को भी समय दूंगा। सुबह नौ बजे कारखाने पहुंचने वाला उनका बेटा सात बजे जाने लगा है। बताते हैं, भाई व बेटे के भरोसे कारखाना छोड़कर मैं सुबह एसके अस्पताल आता हूं। कई बार तो यहीं तीन बज जाते हैं। हालांकि कारखाने से गुजर-बसर करने जितनी कमाई हो जाती है। लेकिन, अस्पताल में बैड व अन्य सामान की मरम्मत का खर्च किसी से लेता नहीं खुद ही वहन करता हूं। और ऐसा करने से सुकून मिलता है।
कलेक्टर से इजाजत ली और जुट गए काम में

15 दिसंबर को सलीम चौहान ने कलेक्टर को पत्र देकर इजाजत मांगी कि वह अस्पताल सुधार में योगदान देना चाहते हैं। इसके तुरंत बाद काम में जुट गए। सलीम के प्रयास की कलेक्टर और स्वास्थ्य मंत्री तारीफ कर चुके हैं। सलीम के मुताबिक एक महीने में अब तक 20 बैड, 70 कुर्सी, 15 कूलर स्टैंड, सात बोतल स्टैंड, 10 ट्रॉली, पांच अलमारी और गार्डन की रेलिंग ठीक कर दी हैं। ये सब बाजार में ठीक कराते ताे करीब 60 हजार रुपए का खर्च आता। अब अस्पताल के एक-एक वार्ड की चीज ठीक करने का प्लान बनाया है।
शोहरत के लिए नहीं, सुकून के लिए कर रहा हूं ये काम : सलीम
सलीम का कहना है यह कोशिश शोहरत पाने के लिए नहीं कर रहा हूं। सिर्फ सुकून के लिए कर रहा हूं। सभी लोगों से अपील है कि वे सफाई, अस्पताल या अन्य तरह से बदलाव के अगुवा बनने का प्रयास जरूर करें। क्योंकि अकेले सरकार-प्रशासन सबकुछ नहीं सुधार सकता है।

इसी तरह के प्रयासों से मॉडल अस्पताल बनेगा : पीएमओ
पीएमओ डॉ. एसके शर्मा का कहना है सलीम चौहान अच्छी मदद कर रहे हैं। इसी तरह के प्रयासों से ही मॉडल अस्पताल बन सकेगा। अस्पताल प्रशासन भी सुधार के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। इसमें जनता के सहयोग की बड़ी जरूरत है।
बीमार बेटी को मिला टूटा बैड तो पिता चला अस्पताल जोड़ने वेल्डिंग

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