एक माँ - बाप
और एक लड़की का गरीब परिवार
रहता था . वह बड़ी मुश्किल से एक
समय के
खाने का गुज़ारा कर पाते थे...
सुबह के खाने के लिए शाम
को सोचना पड़ता था और शाम
का खाना सुबह के लिए ... एक
दिन
की बात है , लड़की की माँ खूब
परेशान
होकर
अपने पति को बोली की
एक तो हमारा एक समय
का खाना पूरा नहीं होता और
बेटी साँप की तरह
बड़ी होती जा रही है
गरीबी की हालत
में
इसकी शादी केसे करेंगे ?
बाप भी विचार में पड़ गया.
दोनों ने दिल पर पत्थर रख कर एक
फेसला किया की कल
बेटी को मार
कर गाड़ देंगे... दुसरे दिन का सूरज
निकला ,
माँ ने लड़की को खूब लाड प्यार
किया , अचे से नहलाया , बार -
बार उसका सर चूमने लगी . यह सब
देख कर
लड़की बोली :
माँ मुझे कही दूर भेज रहे हो क्या ?
वर्ना आज तक आपने
मुझे ऐसे कभी प्यार नहीं किया ,
माँ केवल चुप रही और रोने लगी ,
तभी उसका बाप हाथ में
फावड़ा और चाकू लेकर आया ,
माँ ने लड़की को सीने से लगाकर
बाप के
साथ रवाना कर दिया . रस्ते में
चलते - चलते बाप के पैर
में कांटा चुभ गया , बाप एक दम से
निचे बेठ गया , बेटी से
देखा नहीं गया उसने तुरंत
कांटा निकालकर
फटी चुनरी का एक
हिस्सा पैर पर
बांध दिया . बाप बेटी दोनों एक
जंगल
में पहुचे
बाप ने फावड़ा लेकर एक
गढ़ा खोदने लगा बेटी सामने बेठे -
बेठे
देख रही थी ,
थोड़ी देर बाद गर्मी के कारण
बाप
को पसीना आने लगा . बेटी बाप
के पास गयी और
पसीना पोछने के लिए
अपनी चुनरी दी... बाप ने
धक्का देकर
बोला तू दूर
जाकर बेठ। थोड़ी देर बाद जब बाप
गडा खोदते - खोदते थक गया ,
बेटी दूर से बैठे -बैठे देख
रही थी,
जब
उसको लगा की पिताजी शायद
थक
गये तो पास आकर
बोली पिताजी आप थक गये है .
लाओ
फावड़ा में खोद देती हुँ आप
थोडा आराम कर लो
मुझसे आप की तकलीफ
नहीं देखी जाती . यह सुनकर बाप
ने
अपनी बेटी को गले लगा लिया,
उसकी आँखों में आंसू
की नदिया बहने लगी ,
उसका दिल पसीज गया ,
बाप बोला : बेटा मुझे माफ़ कर दे ,
यह
गढ़ा में तेरे लिए ही खोद
रहा था .
और तू मेरी चिंता करती है , अब
जो होगा सो होगा तू हमेशा मेरे
कलेजा का टुकड़ा बन कर रहेगी में
खूब मेहनत करूँगा और
तेरी शादी धूम धाम से करूँगा...--- ( विकास राज )
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